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Sunday, May 22, 2011

वोह भी नहीं, मैं भी नहीं [सुन्दर पंक्तियाँ ]

7 comments


गलतियो  से  जुदा  वोह  भी  नहीं, मैं भी नहीं
दोनों ही इंसान  है।
खुदा  मैं  भी  नहीं, वोह  भी  नहीं
वोह  मुझे  और  मैं उससे  इलज़ाम  देते  है मगर,
अपने  अन्दर  झांकता  वोह  भी  नहीं, मैं  भी  नहीं
गलत्फैमियों  ने  कर दी  दोनों में पैदा  दूरिया,
वरना  फितरत  का  बुरा  वोह  भी  नहीं, मैं भी  नहीं
इस  घुमती  जिंदगी  में दोनों  का  सफ़र  जरी  रहा,
एक  लम्हे  को  रुका मैं भी नहीं,  वोह  भी  नहीं
चाहते  दोनों  बहुत  एक  दुसरे  को  है मगर ,
यह  हकीक़त  है  की  मानता  वोह  भी  नहीं, मैं भी  नहीं।

7 comments :

  1. wow! really very nice lines.....touched the heart

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  2. yehi zindagi hai dosto......koi dusre ko nahi samjhta hai!

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  3. sali zindgi bhi ajeeb hoti hai.....zjise chao wo nahi mlita par jo milta hai uski hume chahat nahi hoti......ha ha ha ha

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  4. अकेली जा रही थी ज़िन्दगी इन मुश्किल राहों पर
    हैरान परेशान उदास थक्की हुई
    फिर
    एक मोर पे आ मिले तुम और बची हुई ज़िन्दगी की
    भी वाट लग गयी!!!!!

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  5. जिसे दिल दिया वो दिल्ली चली गयी
    जिसे प्यार किया वो पूना चली गयी
    जिसे इश्क किया वो इटली चली गयी
    मजबूर होकर सोचा खुदखुशी कर लू
    पर बिजली को हाथ लगाया तो बिजली चली गयी।

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  6. jhakhas baat hai.......hahaaha

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